रविवार, 31 जुलाई 2011

हरियाली तीज

हरियाली तीज के शुभअवसर पर आप सभी को बहुत बहुत शुभकामनायें /
 हरियाली तीज

सावन की बहार छाई है ,चले आइये 
अपने प्रिय के साथ, इस मोसम का लुत्फ उठाइए 
रिमझिम फुहारों में भीग जाइये
इन्द्रधनुष के रंगों में खो जाइये 
प्रकृति ने अद्धभुत छटा बिखराई है 
हमारी धरा को नई दुल्हन सी सजाई है
बादल पहाड़ों पर झूक रहे हैं
पेड-पोधे भी उमंग से झूम रहे हैं
नदियाँ अपने पूरे उफान पर बह रही हैं 
सागर से मिलने को बेकरार हो रही हैं 
मदहोश करता एक अजब खुमार छाया है 
लो सावन का महीना आया है 
रूत सुहानी आई है 
 चारों और हरियाली छाई है
औरतें सोलह श्रंगार करके धानी चुनरिया पहन के 
ढोलक पर कजरी,सावन के गीत गा रही हैं 
फूलों और पत्तों से झूले खूब सजा कर 
अपने प्रियतम के साथ खूब ऊँचे पेंच लड़ा रही हैं 
ये सब पर कैसी मस्ती छाई हुई है 
देखो सावन की हरियाली तीज आई है    
             

शनिवार, 23 जुलाई 2011

यह कैसी निराली रीत

यह कैसी निराली रीत 
दो साल से देश के बाहर रहने के कारण काफी परिवार के कार्यक्रमों में शामिल नहीं हो पाई /जिसका मुझे हमेशा अफ़सोस रहेगा ,और उस समय मुझे अपने देश से दूर रहना बहुत अखरा /देश से दूर रहकर ही मैं हमारे देश के सस्कारों और सस्कृति की कीमत अच्छी तरह जान सकी /पर जब मैं अपने देश में वापस आई और मुझे नई पीदियों की शादियों में शामिल होने का अवसर मिला तो मुझे ये देख कर बहुत दुःख हुआ की हमारे देश की कुरीतियाँ नहीं बदली/ आज जब लडकियां लड़कों के बराबर पढ़ रही हैं उनके कंधे से कन्धा मिलाकर काम कर रही हैं / लड़की के माता -पिता भी लड़कियों की पढाई -लिखाई पर उतना ही खर्च कर रहे हैं जितना लड़के के माता-पिता /फिर भी लड़की वालों से कुछ लडके वाले दहेज़ की मांगे रख रहे हैं /लड़की के माता-पिता को उनके हर जायज-नाजायज मांगों को पूरा करने को मजबूरकर रहें हैं  /उनके हर रिश्तेदारों के सामने झूक कर उनका मान करने को कह रहे हैं / उनको इतना परेशान कर रहे हैं की खुले विचारों वाले माता-पिता भी अपनी लड़की की शादी के समय ये सोचने लगे की काश आज हम लड़कीवाले नहीं होते /क्योंकि हम अपनी लड़की उनके घर भेज रहे हैं तो क्या उनको अपनी बेज्जती करने का अधिकार दे रहे हैं / उनको मांग के अनुसार दहेज़ दें,वो जैसा चाहें वैसे ही उनके रिश्तेदारों ,बारातियों के स्वागत का इंतजाम करें /हर बात में ये डरते रहें की कही हमसे कोई गलती ना हो जाए ,कही लड़केवाले नाराज ना हो जाएँ /क्यों भई क्या लड़कीवाले हैं तो  डराने और दबाने के लिए ही हैं क्या /आज जब हर कदम पर लड़की लड़कों के बराबर हैं तो शादी में ये लडके वाले ऊँचे और लड़कीवाले नीचे कैसे हो सकतें हैं /सिर्फ इसलिए की लड़की विदा होकर लडके के घर जा रही है./ये तो एक तरह की  blackmailing  होगई की अगर आप ने हमारी बात नहीं मानी तो हम आपकी  लड़की को परेशान करेंगे , उसको ताना देंगे , उसके  साथ  दुर्बेब्हार करेंगे  /फिर तो kidnepping और शादी में अंतर क्या हो गया  kidnepper भी पैसे के लिए ये सब  करता है /अगर  kidneper की बात नहीं मानते तो वो kidnep किये गए  ब्यक्ति  को मार भी देता है /इसी  तरह कई  लड़कियों के ससुरालवाले  भी जब उनकी  मांगे पूरी नहीं होती तो वो लड़की को मार भी देते हैं /विवाह को हमारे समाज में अपनी परम्पराओं और संस्कारों में काफी ऊँचे स्थान पर रखा है /इसको साथ जन्मों का बंधन माना गया है / ऐसी पवित्र भावना से बनाई हुई इस रीति को हमने अपने  लालच में अंधे होकर blackmailing में परिवर्तित कर दिया /आज जब हम २२वि सदी में जी रहे हैं /नए  ज़माने और नई सोच को अपना  रहे हैं तो अपने समाज की इन  सड़ी-गली  कुरीतियों  को क्यों नहीं छोड़ पा रहे हैं/लड़की के माता-पिता पर तो अब दोहरी मार पढ़ रही है/ लड़कियों को लड़कों के बराबर पढ़ा भी रहे हैं और इस कुरीति  के कारण लड़केवालों की जायज -नाजायज मांगों को भी पूरा कर रहे हैं /और नोकरी करने वाली लड़की के पैसे पर भी शादी के बाद ससुराल वालों का हक हो जाता है .जिसका फायदा भी लड़के और उसके घर वाले उठा रहे हैं/मतलब यह कैसी 
निराली रीति है कमाऊ लड़की भी दें,.दहेज़ भी दें,और लड़केवालों के सामने झुकें भी,मतलब लड़केवालों के दोनों हाथ में लड्डू और लड़कीवालों के दोनों हाथ खाली  /अगर ये कुरीतियाँ नहीं बदली गईं तो लड़की को गर्भ में मारने की संख्या में और बढोतरी ही होगी /एक समय ऐसा आयेगा की समाज में लड़कियों की संख्या ना के बराबर हो जायेगी /फिर कैसे ये दुनिया चलेगी और कैसे लोगों का वंश आगे बढेगा/इसलिए जागो समाज के कर्ता-धर्ताओं जागो /समाज की इन कुरीतियों को बदलो /अपनी सोच बदलो / रीति-रिवाजों में परिवेर्तन जरुरी है /इसको बदलने में सबको आगे आना चाहिए /और ऐसी कुरीतियों को बदलना ही चाहिए /विवाह जैसी प्यारी परम्परा दो जिंदगियों और दो परिवार को जोड़ने के लिए बनी है /इसे अपने अहम् मान -अपमान ,लालच जैसी बुराइयों के कारण युद्ध का मैदान मत बनाओ /जो लड़की आपके घर आ रही है वो आपका घर ,आपके बेटे का संसार सजाने और आपका वंश बढ़ाने के लिए बहुत अरमानों के साथ आई है / अगर उसके माता-पिता का अपमान करोगे या परेशान करोगे तो उससे भी प्यार और मान की आशा कैसे करोगे//प्यार और इज्जत दोगे तभी प्यार और इज्जत पाओगे /यही जमाने की रीत है /
विवाह जैसी प्यारी रस्म को अपने 
लालच के कारण ब्यापार मत बनाओ 
यह दो जिंदगियों और दो परिवारों का मेल कराती है 
अपना अहम् छोडकर सबको दिल से अपनाओ 
तभी आप और आपका परिवार खुश रहेगा 
 लड़की तथा उसके परिवार से दिल से इज्जत पायेगा       

    

रविवार, 17 जुलाई 2011

सावन आयो री



सावन आयो री

आओ आओ री सखी सावन आयो री 
धानी चुनरियाँ उडाओ री  

बिंदिया ,चूड़ी, मेहंदी सजाओ री 
सोलह सिंगार करके अपने पिया को रिझाओ री 
आओ आओ री सखी सावन आयो री 
ढोलक पे थाप बजाओ री 
कजरी ,सावन के गीतों को गाओ री 
पेड़ों पर झूले डाल ऊँचे पेंच लड़ाओ री 
आओ आओ री सखी सावन आयो री 
घनघोर  काली घटायें छाई  री 
मन में मीठे-मीठे अरमां जगाये री 
पपीहा ने पिहू-पिहू की पुकार लगाईं री 
आओ आओ री सखी सावन आयो री 
चारों तरफ हरियाली छाई री 
रुत सुहानी,मस्तानी आई री 
विरहणी को पिया मिलन की आस जगाई री 
आओ आओ री सखी सावन आयो री      

शुक्रवार, 1 जुलाई 2011

अमीर मंदिर गरीब देश

अमीर मंदिर गरीब देश 
तिरूपति बालाजी मंदिर 

लक्ष्मी गोल्डन मंदिर वेल्लौर  

आप सभी जानते हैं की हमारे देश के मंदिर ,संत महात्मा ,बाबा कितने अमीर हैं /हमारे देश के मंदिर तिरूपति बालाजी ,वेल्लोर का लक्ष्मी मंदिर ,सिर्डिवाले साईं बाबा  का मंदिर  आदि ऐसे बहुत से मंदिर जिनके पास जनता के द्वारा चढ़ाये करोड़ों रुपये हैं /जिसका उपयोग या तो मंदिर के विस्तार में या उसको चांदी फिर सोने में मढ़ने में ,या पण्डे,पुजारिओं ,trustees को धर्म के नाम पर बैठे बिठाये अपना स्वार्थ सिद्ध करने के काम आता है /अभी सत्य साईं बाबा के बारे में सब जानते हैं की कैसे उनके कमरे के खजाने में करोड़ों रुपये मिले /कुछ लोग बस में रुपये ले जाते पकडे गए./आज भी उनकी करोड़ों की प्रोपर्टी पर मतभेद चल रहे हैं /कुछ तो हम लोगों को मीडिया के माध्यम  

से पता लग जाता है और बाकी पैसों का क्या हो रहा है कोई नहीं जानता /वेल्लोर का लक्ष्मी मंदिर अभी १०-१५ साल पहले ही बना है पर आज के जमाने में भी जब लोग महंगाई की मार से परेशान है उस मंदिर की पूरी दीवारें 
सोने से मडी हुई हैं /जिसमे लगभग २००tan सोने का उपयोग किया गया है /इतना पैसा कहाँ से आ रहा है ,चदावे
से आ रहा है या कही और से आरहा है ये तो भगवान् ही जानता है /ऐसे  कितने ही मदिर हैं जहाँ लाखों करोड़ों रुपये उनके खजानों में जमा होंगे /इनका सदुपयोग क्यों नहीं हो सकता /
मंदिरों के चदावे में आने वाले धन का हिसाब किताब  का ब्योरा मंदिर के trustees के पास लिखित में होना चाहिए /जितनी जरुरत मंदिर के लिए हो उतना पैसा मंदिर के खजाने में रखकर बाकी पैसा सरकारी  खजाने में जमा होना चाहिए /इससे काफी पैसा सरकार को मिलेगा/जो जरूरतमंद लोगों के काफी काम आ सकता है./मंदिरों के बाहर काफी भिखारी बैठे रहते हैं जो हमारे विदेशी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बने रहतें हैं /वो  उनका फोटो खीचकर ले जातें हैं और अपने देश में दिखाकर हमारा मजाक बनाते हैं /सबसे पहले तो इन भिखारियों का पूरा विवरण लेकर इनको पैसा देकर काम करने के लिए कहना चाहिए /और उसके बाद भी ये भीख मांगते दिखें  
तो इनके लिए सजा का प्रावधान होना चाहिए /
जनता का पैसा अगर जनता के ही काम आये तो क्या इससे भगवान् खुश नहीं होंगे /जिस देश में किसान आत्महत्या कर रहे हो ,कितने परिवार गरीबी रेखाओं के नीचे जी रहे हों ,कितने ही परिवारों को दो जून रोटी जुटाने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है ,उस देश में करोड़ों रुपये भगवान् के नाम पर इस तरह उपयोग हो  रहें हैं क्या ये ठीक है ,क्यों नहीं इसका उपयोग गरीबों ,किसानो और जरुरत मंदों के लिए हो सकता /हमारे देश मैं धन की कमी नहीं है पर वो छुपा हुआ है जिसका सदुपयोग होना चाहिए /
और इस पैसे से बहुत सारे काम हो सकतें हैं बस अच्छी सोच और ईमानदारी से उपयोग करने की इच्छा हो /सरकारी खजाने में बढोतरी होने से देश की तरक्की में भी बढोतरी होगी /जनता  का पैसा जनता की तरक्की में ही काम आयेगा /जनता खुशहाल तो देश खुशहाल /

मंदिर,मस्जिद,गिरजाघरों में ईश्वर को चदाव श्रद्धा सुमन 
सच्चे मन से सर झुकाकर करो उसको नमन 
पैसे किसी गरीब और जरूरतमंद को दो 
और उसका जीवन खुशियों से भर दो 
यही तुम्हारी ईश्वर के प्रति सच्ची भक्ति होगी 
          तभी जीवन जीने की ख़ुशी और सही राह मिलेगी